कहानी उस जादूगर की, जिसके हाथ से फील्डिंग का गोल्ड मेडल जीतने के लिए हर भारतीय खिलाड़ी लालायित रहता है। टी. दिलीप अब किसी पहचान के मोहताज नहीं हैं। भारत के हर वर्ल्ड कप मैच के दौरान खिलाड़ी फील्डिंग करते हुए जिस मेडल को जीतने का इशारा करते हैं, उसने भारतीय फील्डिंग की दशा और दिशा बदल कर रख दी है।
इस पूरी दास्तान पर बाद में आएंगे, पहले कहानी उस लड़के की जो आज भारतीय क्रिकेट का सिरमौर बना बैठा है। टी. दिलीप शुरुआत में भारत के लिए खेलना चाहते थे। उन्हें फील्डिंग कोच बनने का कोई शौक नहीं था। पर क्रिकेट की कोचिंग के लायक पैसे नहीं थे। पढ़ाई में अच्छे थे, तो बच्चों को मैथ का ट्यूशन देना शुरु कर दिया। गरीबी जो ना करवाए। अक्सर ख्वाब सीने में दफन कर देती ही। इसके अलावा टी.दिलीप 25 साल की उम्र में फ्री टाइम में क्रिकेट एकेडमी चले जाते थे। सीखने के लिए नहीं बल्कि छोटे बच्चों को सिखाने के लिए। जो भी क्रिकेट सीखा था, उसे दूसरों को सिखा कर दिलीप को संतुष्टि मिलती थी। कुछ वक्त गुजरने के बाद दिलीप को समझ आया कि मेरा प्यार क्रिकेट है, पर मुझे कामयाब होने से ज्यादा खुशी किसी को कामयाब बनाकर होती है। इसकी बाद दिलीप ने क्रिकेट की कोचिंग का कोर्स किया। हैदराबाद क्रिकेट एसोसिएशन ने असिस्टेंट कोच की नौकरी दे दी। असिस्टेंट ही सही, पर टी.दिलीप अब कोच बन बन गए। शादी की उम्र हो चली थी। परिवार वाले अड़ गए। अच्छा कमा-खा रहे हो, अब शादी भी कर लो। दिलीप को मालूम था कि मेरे दिन का पूरा समय युवा प्रतिभाओं को निखारने में लग जाएगा। ऐसे में मैं ब्याह कर आने वाली लड़की का ध्यान नहीं रख सकूंगा। टी. दिलीप ने शादी से इनकार कर दिया। हैदराबाद की टीम के लिए काम करते हुए दिलीप के नाम का शोर धीरे-धीरे देश भर के कोचिंग सर्कल में फैलने लगा। टी. दिलीप का ख्वाब बतौर खिलाडी नेशनल क्रिकेट एकेडमी, बेंगलुरु पहुंचना था। जो सपना खिलाडी के तौर पर पूरा नहीं हो सका, वह उसे अब कोच के रूप में साकार करना चाहते थे। उसी दौरान IPL टीम हैदराबाद डेक्कन चार्जर्स ने दिलीप को अपने साथ जोड़ लिया। वही टीम जिसके कप्तान एडम गिलक्रिस्ट थे और उपकप्तान रोहित शर्मा। फिर वह दिन भी आया, जब दिलीप NCA में रेजिडेंस कोच के तौर पर नियुक्त किए गए। उन्हें नेशनल क्रिकेट एकेडमी की पेमेंट से 4 गुना ज्यादा के भी ऑफर मिले, पर दिलीप ने इनकार कर दिया। उनका सपना NCA में काम करते हुए देश के लिए नए खिलाड़ी तैयार करना था। 2017 में जब इंडिया ए की टीम बांग्लादेश गई, तब टी. दिलीप को उस टीम के साथ भेजा गया। वहां भी दिलीप का प्रदर्शन सराहनीय रहा।
इस बीच राहुल द्रविड़ इंडिया ए टीम के कोच थे। वह युवा खिलाडियों को मेंटॉर कर रहे थे। एक दौर ऐसा आया, जब भारत की दो टीम अलग-अलग दौरे पर गई थी। एक टीम के साथ दिलीप भी गए और वहीं पर पहली बार उनकी मुलाकात राहुल द्रविड़ से हुई। दिलीप ने राहुल से इजाजत ली और फिर खिलाड़ियों से बातचीत शुरू की। जब टी.दिलीप की बातचीत खत्म हुई, तब राहुल द्रविड़ ने खुद जाकर उनकी पीठ थपथपाई। इस वक्त दिक्कत ये थी कि दिलीप की अंग्रेजी उतनी बेहतर नहीं थी। इस वजह से वो प्लेयर्स से मिलकर अपनी बात पूरी तरह से नही कह पाते था। वो वापस आए तो अपने एक दोस्त को पकड़ा। वह दोस्त के सामने हर दिन किसी टॉपिक पर आधे घंटे बोलते थे। फिर दोस्त से कहते थे मुझे ऑब्जर्व करो और बताओ मैं क्या गलती कर रहा हूं। कई जगह ग्रुप चैट में हिस्सा ले कर टी. दिलीप ने अपनी अंग्रेजी सुधार ली। इसी का नतीजा रहा कि भारतीय टीम का फील्डिंग कोच बनने के बाद टी. दिलीप आसानी से अपनी बात खिलाड़ियों तक पहुंचा पाते हैं। वर्ल्ड कप शुरू होने से पहले भारतीय टीम के मिडिल ऑर्डर के अलावा जिस चीज पर सबसे ज्यादा सवाल उठ रहे थे, वह थी फील्डिंग। भारत के पास अच्छे फील्डर्स थे, लेकिन फील्डिंग को लेकर वह मोटिवेशन नजर नहीं आ रहा था। टी. दिलीप को लगा कि कुछ तो किया जाना चाहिए, जिससे टीम के अलग-अलग सितारों को एक चांद की ख्वाहिश जगे। उन्होंने एक नया ट्रेडिशन शुरू किया, बेस्ट फिल्डिंग के लिए गोल्ड मेडल देने का। मेडल सेरिमनी को दिलचस्प बनाने के लिए दिलीप ने दुनिया भर के पैंतरे आजमाए। कभी स्टेडियम की स्क्रीन पर मेडल अनाउंस होता, कभी स्पाइडी कैम पर विजेता की फोटो टंगी मिलती। कभी क्रिकेट के भगवान कहे जाने वाले सचिन तेंदुलकर रिकॉर्डेड वीडियो मैसेज के जरिए गोल्ड मेडल जीतने वाले खिलाड़ी का नाम अनाउंस करते। आखिरी लीग मैच में चिन्नास्वामी स्टेडियम, बेंगलुरु के ग्राउंड स्टाफ ने सूर्य कुमार यादव का नाम अनाउंस किया। वर्ल्ड कप में हिस्सा ले रही सभी टीम अपने आपमें काफी मजबूत है। पर उनके पास दिलीप जैसा कोहिनूर का हीरा नहीं है। गोल्ड मेडल जीतने की लालसा ऐसी जगी, भारतीय खिलाड़ी अच्छी फील्डिंग करने के बाद ग्राउंड पर से ही मेडल का इशारा करते नजर आए। टी.
दिलीप ने भारतीय टीम को सिखाया, अगर टीचर दोस्त बन जाए तो फिर आपको जीतने से कोई नहीं रोक सकता। आज भारत सभी 9 मैच जीतकर पॉइंट्स टेबल में टॉप करने के बाद सेमीफाइनल खेलने जा रहा है।आज भारत सभी 9 मैच जीतकर पॉइंट्स टेबल में टॉप करने के बाद सेमीफाइनल खेलने जा रहा है। इसके लिए सभी खिलाड़ियों के अलावा यह मैथ का टीचर भी थोड़ी सी सराहना डिजर्व करता है।
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